दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रियल कोरिडोर डेवलपमेंट कॉपोरेशन (डीएमआईसीडीसी), जो कि इस परियोजना हेतु नॉलेज पार्टनर है, के एक वरिष्ठ अधिकारी ने फाइनेंसियल एक्सप्रेस को बताया कि एल एंड टी के अलावा बड़ी निर्माण कंपनियों जैसे कि शापूरजी पालोनजी, टाटा प्रोजक्ट्स और नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी ने भी इस परियोजना के पहले चरण के लिए बोली लगाई थी।
लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने द्वारका, नई दिल्ली में 26,000 करोड़ रुपये के प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र के पहले चरण के लिए विस्तृत डिजाइन, इंजीनियरिंग और निर्माण कार्य के लिए 2,791 करोड़ रुपये का ठेका प्राप्त किया है।
लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने द्वारका, नई दिल्ली में 26,000 करोड़ रुपये के प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र के पहले चरण के लिए विस्तृत डिजाइन, इंजीनियरिंग और निर्माण कार्य के लिए 2,791 करोड़ रुपये का ठेका प्राप्त किया है। दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रियल कोरिडोर डेवलपमेंट कॉपोरेशन (डीएमआईसीडीसी), जो कि इस परियोजना हेतु नॉलेज पार्टनर है, के एक वरिष्ठ अधिकारी ने फाइनेंसियल एक्सप्रेस को बताया कि एल एंड टी के अलावा बड़ी निर्माण कंपनियों जैसे कि शापूरजी पालोनजी, टाटा प्रोजक्ट्स और नागार्जुन कंसट्रक्शन कंपनी ने भी इस परियोजना के पहले चरण के लिए बोली लगाई थी। इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर एंड एक्सपो सेंटर (आईआईसीसी) जोकि 100 प्रतिशत सरकार के स्वामित्व वाली विशेष उद्देश्य साधन (एसपीवी) है, ने ईपीसी (इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण) के आधार पर इस परियोजना के विकास कार्य को पूरा करने के लिए यह ठेका दिया है। डीएमआईसीडीसी के सीईओ और एमडी श्री अलकेश कुमार शर्मा ने कहा कि '' नवंबर में कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद से यह परियोजना जिस तेजी के साथ आगे बढ़ी है उसे देखते हुए हमें बेहद खुशी हुई है। हमने अब तक बोली प्रक्रिया पूरी कर ली है, चरण-1 के लिए ठेके का काम पूरा कर लिया गया है और इस परियोजना के प्रबंधन के लिए एसपीवी की स्थापना भी की जा चुकी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वर्ष 2019 के अंत तक पूरी तरह कार्य कर रहे सम्मेलन केंद्र के साथ पहला चरण समाप्त हो जाएगा। इस परियोजना पर काम जनवरी 2018 में शुरू होने की संभावना है।
पर्यावरण मंत्रालय सहित विभिन्न प्राधिकरणों से सभी महत्वपूर्ण अनुमोदन और मंजूरी प्राप्त हो चुकी है। इस परियोजना के व्यवहार्यता अध्ययन नोट के अनुसार एक बार पूरी तरह काम चालू हो जाने के बाद इस केंद्र में 500,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन और एशियाई एमआईसीई (बैठक, पहल, सम्मेलन और प्रदर्शनी) बाजार में 15%हिस्सेदारी के साथ भारत की हिस्सेदारी तीन गुणा तक बढ़ने की संभावना है। एशियाई शहरों जैसे शंघाई, हांगकांग और सिंगापुर के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए केंद्र की योजना भारत में विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र की कमी को दूर करने और वैश्विक एमआईसीई बाजार के बड़े हिस्से पर कब्जा करने की है जिसका अनुमानित आकार लगभग 280 बिलियन डॉलर है।